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मुझे कोई खेद नहीं

mujhe koi khed nahin

सर्गेई येसेनिन

अन्य

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सर्गेई येसेनिन

मुझे कोई खेद नहीं

सर्गेई येसेनिन

और अधिकसर्गेई येसेनिन

    मुझे कोई खेद है, मैं मचाता हूँ चीख़-पुकार, और रोता हूँ,

    सबकुछ गुज़र जाएगा, सेब के सफ़ेद फूलों के समान,

    और सुनहले मुरझाव के चंगुल में फँसकर,

    मैं नहीं रह पाऊँगा जवान।

    ठंडे स्पर्शों के बाद मेरे दिल में,

    फिर नहीं होगी पहले ही जैसी धड़कन,

    और श्वेत भोजवृक्षों की भूमि मुझे

    नहीं दे पाएगी नंगे पाँव चहलक़दमी का प्रलोभन।

    आह, घुमक्कड़ी का चाव! ठंडे होते जाते हैं दिनोंदिन,

    तुमने दहकाए थे जो मेरे अधरों पर अंगार,

    आह, मेरी ग़ायब हुई ताज़गी, आँखों का नटखटपन,

    वासंती नदी-जैसी भावों की तूफ़ानी धार।

    मेरी आकांक्षाएँ करने लगी हैं अब और अधिक परहेज़,

    मेरे जीवन, तुम थे क्या स्वप्न-भर,

    लगता है, जैसे मैं सरपट भागा था गुलाबी-से घोड़े पर,

    चहचहाती वासंती भोर एक यात्रा पर।

    हमको, हाँ, हम सबको मरना है इस फानी दुनिया में

    मेपल वृक्षों से झरता है चुपचाप पत्तियों का ताम्रवर्णी क्षय,

    इसलिए जो कुछ आया है फूलने-फलने और मिटने

    उसके कल्याण की कामना करो, और बोलो सदा उसकी जय!

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक रूसी कविताएँ-1 (पृष्ठ 108)
    • संपादक : नामवर सिंह
    • रचनाकार : सर्गेई येसेनिन
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1978

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