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मोहल्ले की औरतें

mohalle ki aurten

सविता भार्गव

अन्य

अन्य

सविता भार्गव

मोहल्ले की औरतें

सविता भार्गव

और अधिकसविता भार्गव

    मोहल्ले की औरतें

    पति और बच्चों के बाद

    मोहल्ले की होती हैं

    मोहल्ला उनकी संसद है

    मोहल्ला उनका देश

    अमरीका से कम्युनिस्टों का

    क्यों विरोध है

    इसमें वे सर नहीं खपातीं

    उनके विरोध के

    अपने मुद्दे और

    उनकी सूची है

    झाड़ू-बरतन की

    बाइयों के मसले

    उस सूची में

    सबसे ऊपर हैं

    सरकारों का विरोध

    बिल्कुल नहीं करतीं

    और देश की सरकार की भी

    क्या मजाल कि गैस सिलेंडर

    की क़ीमत बढ़ा दे

    वित्तमंत्री को सपने में भी

    मोहल्ले की औरतें

    झाड़ू पटकारते दिखाई

    पड़ती हैं

    मोहल्ले की औरतें

    मोहल्ले की औरतों से

    जब ख़फ़ा होतीं हैं

    अपनी तरफ़ से संसद

    भंग कर देती हैं

    और शाम-सबेरे

    अपने पतियों के साथ

    ट्रैकिंग करना शुरू कर देती हैं

    और बाक़ी औरतों को

    कनखियों से देखते हुए

    ख़ुद को

    आधुनिक स्त्री का दर्जा

    देती हैं

    इस तरह वे

    मोहल्ले में रहते हुए

    मोहल्ले से बाहर हो जाती हैं

    उनके दिमाग़ में

    थोड़ी हलचल

    होने लगती है

    अख़बार पढ़ती हैं

    किसी दिन अपने पति से

    पूछती हैं

    ये स्त्री-विमर्श क्या है

    इस तरह के

    सवाल से तिल-मिलाकर

    उनके पति

    उन्हें मोहल्ले में धकेल

    देते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सविता भार्गव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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