मृत्यु के लिए

mirtyu ke liye

मनास

मनास

मृत्यु के लिए

मनास

क्योंकि उसका कोई घर नहीं था

अतः वह अलग-अलग समय पर

अलग-अलग जगहों पर था

उसे कभी कोई पत्रिका नहीं मिली

उसने बस उनकी सदस्यता ली और उन्हें भूल गया

हालाँकि एक स्थायी पता सबका होता है

क्योंकि पृथ्वी की तरह अंतरिक्ष भी दो नहीं हैं।

क्या तुम अंतरिक्ष की सीमाएँ जानते हो?

हाँ, जब वह मेरे साथ थी

यह बहुत ही छोटा था—एक बिंदु जैसा

और जब मैंने उसे खो दिया

इसकी सीमाएँ अनंत में बदल गईं।

कितने गहरे धँसे हुए, कृष्णपक्ष आए हैं

अँधेरे से भरी घाटियों में

तुम्हारे होने की कूह छोड़ता, कितना अनंबर धुआँ

तुम्हें पता है शहद पक चुका है

अद्रीश-पुत्री सिंधु, मेरी सिंधु! आओ!

आओ, अपनी नाभि से तितलियों को आज़ाद करो!

कैसे अपने अदीब से लिपटकर फैलती है अक्षरा

अनंतर-अनंतर, अश्म-कालों से निरंतर

कितनी स्निग्धता से सींची हैं तुमने सभ्यताएँ

विशाल मैदान, चरागाह और मेरे खेत;

आओ सिंधु, बहो, आओ कि अपनी अलकों से

इस मौसम के पहले हिमपात को आज़ाद करो!

गहरे समुद्रों के उन प्रागैतिहासिक मुहल्लों में

जहाँ चाँद की परछाइयाँ बारिश की वीणा बजाती हैं

गुप्त दर्रों-सी तुम, निरी कलंकित होकर आओ!

‘मनास’ में गिरने से पहले, रोटियाँ बेलती हुई आओ!

आओ कि मेरे मेघ तुमसे अपना विस्तार माँगते हैं

आओ कि मेरे कच्चे और खारे रंग

तुम्हारे पिता हिमालय से सेबों की जड़ों का नुस्ख़ा माँगते हैं।

रेलवे लाइनें,

सड़कें, और

बिजली के खंभे;

गवर्नमेंट रात-दिन,

मेरे पीछे हैं…

सभ्यता मुझे बताए कि मैं उसके लिए ख़तरा कैसे हूँ?

यदि मैं जानता हूँ सिर्फ़ ख़रगोशों की खोंहों के बारे में,

शहद से भरे छत्तों के बारे में।

सबसे पहली रोटी

इतिहास के सबसे लंबे चुंबन के लिए

सूडान के ख़ार्तूम शहर के लिए

श्वेत और नीली नील के संगम के लिए।

हर महाद्वीप के लिए

हर नदी के लिए

हर जंगल, हर पहाड़ के लिए

नातणे की गाँठ के लिए।

अनंत यात्राओं के लिए

माँ से विदा के लिए

आख़िरी रोटी, असंभव के लिए

कभी लौट आने के लिए।

हर एक रोटी, दुनिया के हर विस्मय के लिए।

ज़रा देखो तो सही

उस बच्चे को कविता सीखते हुए—

कितना निरीह, एकदम मासूम, बेख़बर

जैसे मृत्यु का अँगूठा चूसते हुए।

कितनी तरह की दुर्घटनाएँ,

जिनमें सैकड़ों की संख्या में जानें चली जाती हैं

मेरे लिए सिर्फ़

एक सामान्य और रोज़मर्रा की बात हैं।

इस मामले में मैं इतना तटस्थ हूँ

जितना कि वह सूरज

जो बेशर्मी से हर अगले दिन चला आता है

ताकि रात का सौंदर्य ढँक दे,

दुर्घटना में बचे हुए मांस और कौओं की चोंच को

और हर वह फूल

जो अगले दिन पुन: खिल जाता है

ताकि उसे किसी क़ब्र पर चढ़ाया जा सके।

इस मामले में मैं सचमुच तटस्थ हूँ

ठीक उसी तरह जिस तरह मैं अपने खेतों में

कीटनाशकों के छिड़काव से चींटियों की

एक पूरी की पूरी बस्ती को तबाह कर डालता हूँ

और संज्ञाशून्य बना रहता हूँ।

इस मामले में इतना तटस्थ हूँ

कि यदि कोई मुझसे मेरी बेटी भी छीन ले

जो इस दुनिया और मेरे बीच में

मेरे एकमात्र संपर्क का माध्यम है,

तब भी अगले दिन मैं अपने खेतों में काम पर जाऊँगा

अलस्सुबह पंछियों को दाना डालूँगा

और अपने बैलों को गुड़ खिलाऊँगा।

सार्वजनिक विरोध तो दूर की बात है,

व्यक्तिगत विरोध के लिए भी

मैं अपने जिस्म की अँधेरी कंदराओं को ही चुनूँगा।

मेरा विलाप ढहेगा मेरी चमड़ी के अंदर ही

दो-चार पत्थर फेंक दूँगा

रात को खिले हुए पूरे चाँद पर

पपीहे और टिटिहरी के अंडे फोड़ दूँगा

बस इतना ही…

और यह सब करूँगा मैं बेआवाज़

जैसे निशाचरों को लगे कि मानो

सबसे उदास संगीत की धुन ढूँढ़ी जा रही हो।

इतना ही जुड़ाव रह गया है मेरा

इस पृथ्वी से, तुम्हारी पृथ्वी से।

ईश्वर के पास भी इतने बच्चे नहीं होंगे

जितने छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाती है वह

यह बेकार की बात है कि मैं उसे जानता हूँ या नहीं

मैं उससे प्रेम करता हूँ या नहीं

मैं तो चाय की इन पत्तियों को भी नहीं जानता,

लेकिन प्यार करता हूँ इनसे बेतहाशा।

मैं तो बस कौतूहलवश, इन चाय-बागानों में गया हूँ

मैं बस देखना चाहता हूँ,

किताबें लिए हुए बच्चे कैसे दिखते हैं?

क्या मध्य-अफ़्रीकी गणराज्य के उन बच्चों की ही तरह!

जिनके हाथों में मैंने बंदूक़ें देखी थीं?

नर्क और स्वर्ग का आदान-प्रदान हो रहा है

और बच्चे मुख्य भूमिका में हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : मनास
  • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

संबंधित विषय

यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY