मेरी नींद

meri neend

आशीष त्रिपाठी

आशीष त्रिपाठी

मेरी नींद

आशीष त्रिपाठी

अभी मेरी नींद का रंग है

गहरा स्लेटी

काले की ओर झुकता धीरे-धीरे

मेरी नींद की देहरी पर खड़ा है

जुनैद का हमशक्ल

जलती भट्टी की दीवार-सा है उसका रंग

उसकी आँखों में करुण अंगारी धधक है

नींद की देहरी के भीतर मैं उसे छूने बढ़ता हूँ

कि उसके चेहरे से

झाँकने लगता है

अयूब का सख़्त कर्मठ चेहरा

और पार्श्व से गूँजती है

जुनैद की महतारी के रुदन को ओवरलैप करती अयूब की बहन की आवाज़

मेरी नींद हामिद के साथ

जुनैद के गाँव के ईदगाह में भटकती है

ईदगाह आया हर बच्चा डरा हुआ है

नमाज़ के बाद किसी ने

दूसरे को मुबारकबाद नहीं दी है

मेरी नींद में कहीं गहरे अँधेरे से आती है

नज़ीर की आवाज़

कि अचानक

नींद में दौड़ती आती हैं पहलू ख़ान की गाएँ

बंबाती हुई

उनमें से एक की शक्ल

मतवारी से मिलती है हू-ब-हू

बचपन में मेरे घर की सबसे दुधारू गाय

नींद का रंग कालिख हुआ जाता है

एक बड़ी सैकड़ों दरवाज़ों वाली बड़ी हवेली में

भटकती है नींद

जिसका हर दरवाज़ा बाहर से बंद है

हवेली के भीतर

दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान

धूप में तप रहा है

भयानक लू के बीच

भीतर एक कमरे में बंटते हैं हत्यारे क़र्ज़

आत्महत्या कर चुके सभी किसान खड़े हैं सामने

पर सामने क़र्ज़ लेने के लिए

लगी है लंबी लाइनें

जिनके भाइयों ने आत्महत्या की

वे किसान भी खड़े हैं

जिनके पिताओं ने फाँसी लगाई, उनके बेटे

खड़े हैं पंक्ति में चुपचाप

उनकी आँखों में पसरी है

भयानक ठंडी राख़ ठंडी चिता की

मेरी नींद का रंग

गीले कत्थे-सा था अभी

नींद में लाखों दृश्य

एक-दूसरे को ठेंलते चले आते हैं

कि अचानक चारो ओर छा जाती है महचुप्पी

पीछे की सब आवाज़ें चुप हैं

और बेआवाज़ रुदन का महाकोरस

दृश्य में चलता है

मेरी नींद

लाख़ों आँखों में राख-सी उड़ती है

बिना तेल की बाती-सी भभकती है

जलती है अँधी

मेरी नींद

स्रोत :
  • रचनाकार : आशीष त्रिपाठी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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