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मैंने इंदौर नहीं देखा

mainne indaur nahin dekha

राजेश सकलानी

अन्य

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राजेश सकलानी

मैंने इंदौर नहीं देखा

राजेश सकलानी

और अधिकराजेश सकलानी

    मैंने इंदौर नहीं देखा

    ग्वालियर

    बंगलूर

    एक संस्था का गठन किया गया है इंदौर में

    मेरे नगर देहरादून की तरह

    सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने का

    किया गया है संकल्प

    भाषा भावुक है

    वह शायद पूरा नहीं होता

    इंदौर में

    देहरादून में

    कुछ शहरों में झगड़ों कुछ में पूजा के समाचार हैं

    एक संस्मरण में लेखक दीवारों को देखता

    रिक्शे वाले के शरीर का स्वर सुनता है

    इंदौर में किराए का मकान लूँ तो जल्दी

    ही भीतरी सड़कों, ज़रूरी दुकानों का जान लूँगा

    और अजनबी नहीं लगूँगा

    शहरों के नामों को धूप में तपते

    बारिश में भीगते देखता हूँ

    सूरज आसमान थपथपाते हुए आता है

    दिन भर ठहरता है, लोग सीने में

    हृदय की तरह धड़कते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुनता हूँ पानी गिरने की आवाज़ (पृष्ठ 15)
    • संपादक : 2000
    • रचनाकार : राजेश सकलानी
    • प्रकाशन : सार्थक प्रकाशन

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