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वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-10

wartikal poetri ha last poemz 10

रोबेर्तो ख्वार्रोस

अन्य

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रोबेर्तो ख्वार्रोस

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-10

रोबेर्तो ख्वार्रोस

बंद कमरे में एक अकेला आदमी,

अलविदा कहने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर उठाता है।

दूसरी जगह सुनसान सड़क पर एक अकेला आदमी,

उसी अंदाज़ से अपना हाथ ऊपर उठाता है।

लगभग असंभव संदेह इन दोनों भंगिमाओं को जोड़ता है :

अलविदा कहने का घाव तब खुलता है

जब अलविदा कहने के लिए कुछ नहीं होता

अलविदा कहने के लिए कोई नहीं होता।

लेकिन ये भंगिमाएँ

सही जगह पर मनुष्य की चाबी घुमा देती हैं :

ये भंगिमाएँ पवित्र अलविदा बन जाती हैं।

स्रोत :
  • संपादक : अविनाश मिश्र
  • रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
  • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21

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