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तुमने लिखे शास्त्र औ’ इतिहास

tumne likhe shastr au’ itihas

धर्मेश

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धर्मेश

तुमने लिखे शास्त्र औ’ इतिहास

धर्मेश

और अधिकधर्मेश

    तुमने लिखे शास्त्र औ’ इतिहास

    है तुमसे ही परिभाषित सब रस

    वात्सल्य हो या हो वीभत्स

    वे लड़के जिन्होंने प्रेम किया

    अपनी दुगनी उम्र के ब्याहता पुरुषों से

    वे ब्राह्मण वधुएँ जो भंगिन के साथ

    भाग गईं सब लोक-लाज को आग लगा

    वे हिजड़े जिन्होंने छोड़े दुधमुँहे बच्चे

    और ताली पीटते दिया तुम्हें बेटा होने का आसीरबाद

    तुम्हारे लिखे किसी ग्रंथ में नहीं आते

    उनका प्रेम परे है तुम्हारी स्मृतियों से

    उनका रुदन सुनकर तुम्हारी फूटती रही हँसी

    उनके लहू का रंग तुमने देखा ही नहीं लाल

    तुम्हारे क़िस्सों से नदारद रही उनकी आत्माएँ

    कभी तो उनके हाथ भी आएगी क़लम

    और लिखेंगे वे तुम्हारी सभ्यता की असभ्य कविता…

    स्रोत :
    • रचनाकार : धर्मेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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