ओहि स्त्रीक कानब
घरक सभ गोटाकेँ खुआ-पिआ कऽ
अपनहु खाकऽ आ भनसा घरक फाटक लगाकऽ
पयर धुआकऽ एक टा स्त्री अहाँ लग अबैत अछि
आ अहाँक पाँजरमे दुबकि रहैत अछि
मसहरीसँ हाथ निकालि अहाँ लालटेम मिझबै छी
आ जीवनक अज्ञात उछाहमे
हेलैत
स्त्रीक अन्हारमे अपन सुख तकैत छी
...फेर माछ-भात
फेर धनियाँ-मूरक चटनी आ फेर नेबोक स्वाद
फेर जाफरानी पत्ती आ फेर स्त्रीक अन्हार...
फेर अहाँ अपन उज्जर-सफेद जिनगीक कारीगरकेँ
मोने-मोन सुमरैत छी
आ संदेहसँ सोचैत छी बुद्धक दुख-दर्शन
सुनू
खाली सपता-विपतासँ बान्हलि नहि
सात हजार विपैतसँ गछारलि अहाँक स्त्री
नूनक कोही लग तेलचिट्टा जकाँ भटकि रहल अछि
तेसर सालक तम्मा जकाँ
अछि कोठीक दोगमे दुबकलि
बरदक नाँगड़िक कपचल केस जकाँ
टाटक बत्तीमे खोंसलि अछि
सोमबारीक ताग जकाँ अछि पीपरक गाछसँ लटकलि...
आ अहाँ
वाइलक बदला छपुआ साड़ी दऽ कऽ करैत छियै
अगाध प्रेमक प्रदर्शन
जहिना बहुत रास लड़ाइ आ बहुत रास प्रेम
बहुत रास लौलसा बहुत रास याचना
बहुत रास कानब बहुत रास भागब
खसि पड़ैत छै समयक सभसँ पैघ डबरामे
अहूँक स्त्री खसि जाइत अछि
अपन माथ मुड़ाकऽ आ श्राद्ध कराकऽ
विगलित मोने गुमसुम बेटीकेँ देखैत छी
तँ अहाँकेँ ओहि स्त्रीक कानब सुनाइ पड़ैत अछि
जे अहाँक बेटीक देह आ आत्मामे
रसे-रसे पसरि रहल अछि
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 21)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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