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कोरोना संकट के परिप्रेक्ष्य में—

korona sankat ke pariprekshya men—

योगेश कुमार ध्यानी

अन्य

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योगेश कुमार ध्यानी

कोरोना संकट के परिप्रेक्ष्य में—

योगेश कुमार ध्यानी

और अधिकयोगेश कुमार ध्यानी

    एक

    जीवन की चलती हुई परेड को

    किसी ने कह दिया है

    थम।

    दो

    कन्या, कुम्भ, मीन, वृषभ

    हर राशि में लिख गया है दोष

    समाचार पत्रों ने स्थगित कर दिया है

    भविष्यवाणी वाला स्तंभ।

    तीन

    कलम मौन पड़ गई है

    चुप हो गया है

    उस पंडित का तोता

    जो चोंच में उठाकर लाता था

    भविष्य लिखा एक कार्ड

    छापेख़ानों में पड़ गए हैं ताले

    सिर्फ़ मेडिकल स्टोरों में रखे प्रिंटर

    उगल रहे हैं

    लाखों-करोड़ों के बिल।

    चार

    सुन्न हो जाना दुःख की अगली अवस्था है,

    चेतना का जीवित रहना ज़रूरी है

    दुख के महासागर में

    डूब जाने से बचने के लिए।

    पाँच

    इस समय हवा में

    भय है

    चेतावनी है

    प्रदूषित रसायन हैं

    और भी बहुत कुछ है

    जिसे नहीं होना चाहिए

    नहीं है तो सिर्फ़

    हांफते फेंफड़ों के लिए आक्सीजन।

    छह

    स्कूल बंद हैं

    दुकानें बंद हैं

    लेकिन सबसे अच्छी बात है

    कि उम्मीद की कोई तालीम नहीं होती

    किसी दुकान में नहीं बिकती उम्मीद

    उम्मीद भीतर होती है

    हमारे जन्म से

    यदि हम उसे मरने दें तो।

    सात

    मुझे पता है कि मेरी तरह ही

    आप सबको भी उतना ही यक़ीन है

    इस बात पर

    कि जीवन की परेड से

    जिसने भी कहा था थम

    जल्द ही कहेगा

    बुलंद आवाज़ में

    आगे-बढ़।

    स्रोत :
    • रचनाकार : योगेश कुमार ध्यानी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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