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कोड़ों की सख़्त मार से, कंधे तेरे

koDon ki sakht maar se, kandhe tere

ओसिप मंदेलश्ताम

अन्य

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ओसिप मंदेलश्ताम

कोड़ों की सख़्त मार से, कंधे तेरे

ओसिप मंदेलश्ताम

और अधिकओसिप मंदेलश्ताम

    कोड़ों की सख़्त मार से, कंधे तेरे, प्रिया, होंगे लाल

    तेज़ ठंड में भी नहीं जमेगा, ख़ून तेरा लेगा उबाल

    तेरे ये नन्हें-नन्हें हाथ, कपड़ों पर फेरेंगे इस्त्री

    तुझे बँटनी होगी रस्सी, उठानी होंगी कनस्तरी

    कोमल नंगे पैरों से तुझे चलना होगा काँच पर

    और रोज़ ही जलना होगा अंगारों की आँच पर

    दिन-रात करूँगा याद तुझे मैं, पर दुआ नहीं कर पाऊँगा

    वहाँ बिन तेरे, सजनी मेरी, मैं शोक़ से मर जाऊँगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 314)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : ओसिप मंदेलश्ताम
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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