कितना पानी है काफलपानी में

kitna pani hai kaphalpani mein

पराग पावन

पराग पावन

कितना पानी है काफलपानी में

पराग पावन

(मंगलेश डबराल की मृत्यु के दो वर्ष पश्चात)

तुम कहाँ छुप गए हो

बर्फ़ में कि पहाड़ में

कि जंगल से लकड़ी काटकर लौटती

स्त्रियों की थकान में

क्या तुम पहाड़ और मैदान की खाई में

गिर गए हो

या फैल गए हो

उदास आँखों की छलछलाती रौशनी में

कितना शोर कितनी चीख कैसा उन्माद

फैलता चला गया देश के आकाश में

क्या तुम नहीं ढीलोगे अपने प्रतिकार की पतंग

जो उठती चली जाएगी संगीत की तरह

बँट-बँटकर छोटा होता चला जा रहा

आत्मा का दुआर

शब्दों के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं है

हत्यारे लगभग नायक बन चुके हैं

किस मोड़ पर तुम अलग हुए हमसे

मेरी आवाज़ का पेड़ रह-रहकर काँपता है

मैं हारता नहीं हूँ मैं थकता नहीं हूँ

मैं एक दृढ़ चुप विनम्र मछली की तरह खड़ा हूँ

इस महासैलाब की धारा के विपरीत

पर इतनी दूर है सुंदरता

कि मुझे तुम्हारी पंक्तियों की डोर चाहिए

जिससे खींचकर संभव करूँगा अच्छाई

मेरे प्रेम में शामिल है तुम्हारा प्रेम

जैसे सबमें शामिल है सबकी माँ का रक्त

मेरी घृणा में तुम्हारी घृणा

मेरी उम्मीद में तुम्हारी उम्मीद

बहुत-से लोग अब भी तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं

जबकि सब जानते हैं

कि समय एकतरफ़ा सड़क है

इसमें कहीं कोई मोड़ नहीं है

मैं भी हूँ तुम्हारी राह देखता

मुझसे कितना दूर है काफलपानी

मुझे जाना है तुम्हारे गाँव

क्या तुम्हारे गाँव में मुझे घुसने देंगे लोग

क्या तुम इसके ख़िलाफ़

कोई कविता नहीं लिखोगे?

स्रोत :
  • रचनाकार : पराग पावन
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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