Font by Mehr Nastaliq Web

किसी-किसी संगीत के लिए वर्तमान वैक्यूम होता है

kisi kisi sangit ke liye vartaman vaikyum hota hai

शिवम तोमर

अन्य

अन्य

शिवम तोमर

किसी-किसी संगीत के लिए वर्तमान वैक्यूम होता है

शिवम तोमर

एक तरह का संगीत था

मैंने सुना था फ़िल्मों में

ख़ास क्षणों में बजता था

जब भी बजता

सब धीमा-सा हो जाता

समुद्र तट पर नायक के बाँहें फैलाते ही

फूट पड़ता था वह संगीत

लहरों की गति धीमी पड़ जाती थी

विरह की रात में

सड़क पर चलते हुए नायक का

निराशा में गर्दन झुका लेना

बुलावा था उस संगीत का

हल्की-हल्की बरसात का

नीरवता भरे क्षणों में

विरह के भारीपन से लदे दृश्यों में

तमाम महत्त्वपूर्ण घटनाओं के दौरान

बजता था वह संगीत

धुन अलग-अलग, वाद्य-यंत्र अलग-अलग

लेकिन जिस गति से मुझे भेदता

वह समान

उसका स्पंदन जिस तरह ताल मिलाता

मेरी हृदयगति से

वह भी समान

मैं अपने जीवन का नायक

मैं स्वयं को देखता था उन जगहों पर

जहाँ हर घटना संगीतमय होती थी

जहाँ अब तक नहीं गया था मैं

समुद्र तट और ऊँची-ऊँची पहाड़ियों पर

उन सब जगहों पर

जहाँ फ़िल्में घटित होती हैं

पहुँचकर महसूस किया मैंने

एक अधूरापन

वही दृश्य था, सब कुछ वही

पर मेरे बाँहें फैलाने के बावजूद

जो संगीत बजना चाहिए था

नहीं बजा

मेरा बाँहें फैलाना निरर्थक

मेरा आकाश में देखना निरर्थक

मेरा निराशा में ज़मीन की ओर देखना निरर्थक

लेकिन जिस तरह धीमे से मस्ती में उड़ रहा था बाज़

लहलहा रहे थे पेड़-पौधे

बूढ़े दुकानदार की बीड़ी से निकल रहा था नाचता हुआ धुआँ

मैं कैसे मान लेता कि यह सब

किसी संगीत की ताल पर नहीं हो रहा था

सालों बाद मैं आज करता हूँ याद वह क्षण

और सुन पाता हूँ उस संगीत को बजते हुए

बाज़ को उड़ते हुए

पौधों को लहलहाते हुए

धुएँ को नाचते हुए

कुछ संगीत सिर्फ़ स्मृति में ही सुने जा सकते हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : शिवम तोमर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY