Font by Mehr Nastaliq Web

कीड़ों के बारे में

kiDon ke bare mein

अजंता देव

अजंता देव

कीड़ों के बारे में

अजंता देव

बालटियों की आवाज़ और साबुन का

स्वाद पहचानते हैं

अच्छी तरह मालूम है उन्हें

आटे की गोलियों में ज़हर के बारे में

खेत में एकटक घूरते हैं पॉलीथिन की थैलियाँ

और खोदने लगते हैं और गहरा

पत्ते कुतरते हुए टपक जाते हैं

छींटों से बचकर

नाली की दीवार से चिपक कर

बहने देते हैं फ़िनायल का घोल

तरह-तरह के धुएँ में साँस रोकने की कला

पहले ही सीख चुके हैं

अब बेहोशी का अभिनय भी

कमाल का करते हैं

मैंने कितनी बार देखा है

रोशनी में भागती छिपती आबादी

छत पर जाले

दीवारों पर बिल

दीमक की बाँबियाँ

ट्यूबलाइट के ऊपर छिपकली

अपनी जैव घड़ियाँ इन्होंने मिला रखी है

हमारी दिनचर्या से

ठीक आधी रात को घर और शहर

उनके हवाले होता है

मनुष्य जब-जब जहाँ-जहाँ

आराम करते हैं

तब-तब वहाँ-वहाँ ये काम करते हैं

इस तरह शताब्दियों से

हम एक साथ घर-बार कर रहे हैं

छोटी-मोटी दुश्मनियाँ पाल कर

इन्हें जल्दी नहीं है

ये जानते हैं

यह पृथ्वी पहले भी उनकी थी

यह पृथ्वी उनकी है बाद में भी

स्रोत :
  • पुस्तक : राख का क़िला (पृष्ठ 47)
  • रचनाकार : अजंता देव
  • प्रकाशन : वाग्देवी प्रकाशन
  • संस्करण : 2002

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY