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कौन है यह वास्तुकार

kaun hai ye vastukar

कलानाथ मिश्र

अन्य

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कलानाथ मिश्र

कौन है यह वास्तुकार

कलानाथ मिश्र

और अधिककलानाथ मिश्र

    (दुबई पर )

    सिंधु के कछार पर

    टापुओं के धार पर

    रेत के पठार पर

    बसा हुआ मोहक नगर...।

    बसे हुए हो तुम

    बसे हुए हो इस क़दर 

    ज्यों विशाल वृक्ष के शाख पर

    बना हो कोई आशियाना।

    आँधियों का कोई डर

    तुफानों से भी बे-ख़बर...।

    आकाश छूती इमारतें

    उँचाईयों की चाहतें

    वास्तुविदों की कल्पना

    रूप लेती ख़्वाहिशें

    ऐश्वर्य की नूमाईशें 

    जगमगाती रौशनी

    धुला धुला-सा

    हर डगर

    धुली हुई

    ज्यों चाँदनी

    सजा-सजा-सा

    हर नगर

    ज्यों सागर के भाल पर

    रत्न जड़ित

    मुकुट कोई...। 

    दृष्य का यह 

    अन्य पट

    रेगिस्तान का सफ़र

    मरु देश के डगर 

    मरुद्वीप के पहाड़ पर

    रेत के पसार पर

    प्रकृति के कैनवास पर

    छोटी-मोटी

    अनगिन चोटियाँ

    उसपर ज्यों

    पवन की कशीदाकारी

    सागर की लहरों-सा

    रेत में तरंगे देखी

    सूर्य ने बिखेरे रंग

    वायु के उमंग देखी

    रेत के तरंगों-सा 

    मन में तरंग देखी

    देखी अलौकिक कृति

    अद्भुत अनोखी छवि

    मन में अनेक प्रश्न

    किसकी यह

    अभिकल्पना!

    कौन है

    यह चित्रकार...!

    कौन है

    यह वास्तुकार...!

    कौन है यह

    वास्तुकार...!!

    स्रोत :
    • रचनाकार : कलानाथ मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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