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कर्मयोग : एक ज़रूरी सलाह

karmayog : ek zarooree salaah

पीयूष तिवारी

पीयूष तिवारी

कर्मयोग : एक ज़रूरी सलाह

पीयूष तिवारी

हिंसा की अतिरंजना देख जिन्हें

आती है उबकाई

वे भी नहीं बच पाते एक नज़र

उसकी ओर देखने भर के आकर्षण से

आदमी तभी तक सामाजिक रहता है

जब तक पाँव में

दमन और शोषण का काँटा नहीं चुभता

प्रत्येक रात घुटनों में सिर छिपाए

फुटपाथ पर सोने की

नाकाम कोशिश के नीचे दबे ऊब में

जब हम तलाश रहे होते हैं

मुख्यधारा से अलगाए जाने का कारण

तब पूस के दिनों में हमारे बिस्तर पर

‘कोयल-कारो’ (नदी) उतर आती है

और हम अभ्यस्त लोग इसे

समझ-समझ के फेर में समझते हैं

वॉटर कैनन का पानी

जिसे इतने सालों से संसद की गेट पर

झेलते रहे होते हैं

आंदोलन के दिनों में हमें

इतना पीटा गया कि

हमारी पीठ पर उत्पीड़न के थक्के जम गए

और किसी शानदार चीते की तरह

हम चमकने लगे शिकारियों की आँखों में

हर मुकम्मल दमन के नीचे

जानवरों से भरा जंगल दबा होता है

मन से ज़्यादा जहाँ दौड़ती हैं गाड़ियाँ

हमने तय किया है उन अजनबी रास्तों को

उड़ती धूल में कहीं छूटे हैं

हमारे पैरों के निशान

तय है कि कुछ भी तय नहीं

कुछ बचाने की शर्त पर

कम से कम हमारे पगचिह्नों को तो बचाएगी

दाहिने पैर को बाएँ पैर से बदलने की युक्ति

कौंधेगा यह विचारोत्तेजक गीत की तरह—

कोई तो चला होगा इन अनचीन्हे रास्तों पर

धरती को करता हुआ लाल

पीछे छूटे इन पगचिह्नों को देखकर

आए भले क्रांति

सोचेगा! कोई एक मन तो सोचेगा।

स्रोत :
  • रचनाकार : पीयूष तिवारी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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