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कैमडेन 1892

kaimDen 1892

होर्खे लुइस बोर्खेस

अन्य

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और अधिकहोर्खे लुइस बोर्खेस

    कॉफ़ी और अख़बार की मिली जुली महक।

    इतवार और उसकी बोरियत, सवेरे-सवेरे,

    किसी कविभाई ने मगन हो कर रँगा है एक कॉलम

    ठेठ लच्छेदार तुकबंदी से। एक बूढ़ा बेचारा

    पड़ा है अपने साफ़सुथरे मामूली से कमरे में निढाल,

    चेहरे पर पीलापन, या शायद कोई रंग नहीं,

    धुँधले दर्पण में यूँ ही देखता है अपने चेहरे को

    मैं ही तो हूँ यह, इस में ताज्जुब कैसा।

    एक काँपता हाथ उलझी दाढ़ी, पोपले मुँह पर,

    फेरते हुए बोल उठता है : अंत अब दूर नहीं

    लगभग मर चुका हूँ लेकिन मेरी कविताएँ

    हलकोरती हैं जीवन और उसका वैभव—

    मैं था वॉल्ट व्हिटमैन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 45)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : होर्खे लुइस बोर्खेस
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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