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अंबेडकर के लिए

ambeDkar ke liye

अनुभव

अनुभव

अंबेडकर के लिए

अनुभव

पहले तुम

फिर अधिकार की लड़ाई

फिर हमारा अधिकार

फिर आया संविधान

फिर आई सीने से लगी किताब वाली

तुम्हारी मूर्तियाँ

तुम तो मसीहा थे

तुम भगवान भी थे

जिनके लिए लड़े

जिस लड़ाई ने तुम्हें

एक तबके का दुश्मन बना दिया

उस लड़ाई को अब कौन याद करता है

और तुम किसके भगवान हो?

तुम हो कौन?

तुम तो बस संविधान निर्माता हो

इसके इतर भी तुम्हारी कोई पहचान बची है!

तुम संविधान निर्माता थे

इसलिए तुम्हारी मूर्ति लगी थी!

कौन जाने किस लिए तुम्हारी मूर्ति लगी थी?

किंतु जिस लिए तुम्हारी मूर्ति लगी थी

वह मूर्ति उस लिए तो वहाँ नहीं लगी है

क्या वह पूजा के लिए लगी थी

या तोड़ने के लिए लगी थी!

तुम्हारी उस मूर्ति को फिर से बनाया जाना चाहिए

जिसमें तुम्हारी उँगली नहीं, दूसरों का अँगूठा हो

स्रोत :
  • रचनाकार : अनुभव
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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