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सीवी उर्फ़ काग़ज़ के फूल

cv urf kaghaz ke fool

रचित

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सीवी उर्फ़ काग़ज़ के फूल

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    अपने सारे भटकाव को ऐसे लिख पाना कि वह यात्रा लगे

    कुछ भी बन पाने की हड़बड़ाहट को दे पाना ऐसे शब्द

    कि जो भी बन पाओ वह उसके अनुकूल लगे

    अपने जीवन के सबसे बेहतरीन समय

    जब तुम कुछ नहीं कर रहे थे

    उसे लिखना एक बाज़ारू ज़रूरत के शिल्प की व्यस्तता में

    अँग्रेज़ी में झूठ बोलना शायद तुम्हें उतना दुःखी करे

    लेकिन खीझ इस बात से तो होगी ही

    कि चोरी के तीर से तुमने हत्यारा बनना चाहा था

    रह गए सिर्फ़ चोर बनकर

    तुम कितने ही तरीके़ निकाल लो

    कितना ही सीख लो ग़लतियों से

    ए-4 साइज़ के काग़ज़ जितनी प्रतिभा

    तुम्हें भिखारी के ख़ाली कटोरे की याद ज़रूर दिलाएगी

    इस बहुत बड़े बियाबान में जहाँ हर तरफ़ काग़ज़ उड़ रहे हैं

    तुम बहुत दिन 'बुढ़िया के बाल' की तरह उड़ नहीं सकोगे

    तुम्हें उड़ना होगा 'काग़ज़ के फूल' की तरह

    स्रोत :
    • रचनाकार : रचित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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