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बेसन की फ़ैक्ट्रियाँ

besan ki faiktriyan

निशांत कौशिक

अन्य

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निशांत कौशिक

बेसन की फ़ैक्ट्रियाँ

निशांत कौशिक

और अधिकनिशांत कौशिक

    यारों ने

    पिताओं की बेसन फ़ैक्ट्री सँभाली

    बाक़ियों ने बेसन की खपत

    महानगर में मेट्रो के

    दोनों कोनों पर बेसन था

    बीच में

    लार और उदासी को सोखते तकिये

    घटनाएँ

    तथ्य से ज़्यादा रूखी होती हैं

    सारा जीवन

    ऊब और मृत्यु के बीच

    तनी हुई रस्सी है

    सूर्यास्त एक दुःख भी है

    जैसे क़ुर्रतुलऐन हैदर का वह उपन्यास

    जहाँ पात्र शानदार शुरुआत के बावजूद

    व्यवस्था की तरफ़ लौटते हैं

    उपन्यास के अंतिम पृष्ठ पर भी

    खुले शायद कथा पूरी

    कविता की अंतिम पंक्ति पर

    लौटकर जाए

    क्या पता! वही पहली बात

    सभी शामें चिंतन के लिए नहीं होती

    संभव है

    कि चुप रहकर ही

    सबसे अधिक भला किया हमने समाज का

    हम बचे हैं

    फूहड़ कहानी में शानदार खलनायक की तरह

    स्रोत :
    • रचनाकार : निशांत कौशिक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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