तू जेतना समझत हौ ओतना महान थोड़ै हय
खान तौ लिक्खत हय लेकिन पठान थोड़ै हय
ऊ मारि-मारिके हमसे बयान करवाइस
ईमानदारी से हमरा बयान थोड़ै हय
देखौ आबादी मा तौ चीन का पिछाड़ि दिहिस
हमरे देस कय मरिहल किसान थोड़ै हय
हम ई मानित हय मोहब्बत मा चोट खाइस हय
जेतना चिल्लात हय ओतना चोटान थोड़ै हय
ऊ छत पे खेल रही फुलझड़ी पटाखा से
हमरे छप्पर की ओर ओहकै ध्यान थोड़ै हय
चुनाव आवा तब देखि पर्यो नेताजी
तोहरे वादे का जनता भुलान थोड़ै हय
रफीक मेकपो-मेंहदी क ई कमाल हय सब
तू जेतना समझत हौ ओतनी जवान थोड़ै हय
- पुस्तक : जियौ बहादुर खद्दरधारी (पृष्ठ 117)
- संपादक : अटल तिवारी, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
- रचनाकार : रफ़ीक़ शादानी
- प्रकाशन : परिकल्पना, दिल्ली
- संस्करण : 2025
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.