जब आप

jab aap

अनुवाद : सावजराज

मणिलाल देसाई

जब आप

गंगा के गंदे पानी में आँख बंद करके खड़े रहकर

अपने पिता का श्राद्ध कर रहे होंगे

जब आप

हरिद्वार में पसीने से गंधाते पंडे से

गृह-शांति करवा रहे होंगे

जब आप

दफ़्तर से सत्य-नारायण की कथा की छुट्टी लेकर

फॉरश रोड की मशहूर रंडी के साथ सो रहे होंगे

जब आप

कृष्ण को राधा के चीर के तौर पर

चार उँगल भर कपड़े से चूतिया बना रहे होंगे

तब

स्वर्ग में जिसके नाम से सारे देवता डर रहे होंगे

वह चवन्नी छाप ख़ुदा

दाढ़ी करने के बाद फिटकरी लगाते-लगाते

अपने पाप का प्रायश्चित कर रहा होगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : सदानीरा
  • संपादक : अविनाश मिश्र
  • रचनाकार : मणिलाल देसाई
  • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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