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आगे जीवन है

aage jiwan hai

अविनाश मिश्र

अन्य

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अविनाश मिश्र

आगे जीवन है

अविनाश मिश्र

और अधिकअविनाश मिश्र

    बहुत सारी आत्मस्वीकृतियाँ हैं

    बहुत सारी पीड़ाएँ और सांत्वनाएँ

    बहुत कम समय और बहुत सारी शुभकामनाएँ

    हालाँकि सब परिचित पीछे छूट चुके हैं

    अब बस एक बहुत छोटा-सा कमरा है

    जहाँ एक सीलिंग फ़ैन अपनी अधिकतम रफ़्तार में घूमता रहता है

    और जहाँ जब मैं हर सुबह टूटते हुए बदन के साथ उठता हूँ

    तब भविष्य वहाँ पहले से ही मौजूद होता है

    यह समझाते हुए कि

    मुझे अवसाद और नाउम्मीदियों से बचना है

    थकान और नैराश्य से भी

    ईर्ष्या और अधैर्य से भी

    मुझे अभिनय नहीं सच के साथ जीना है

    जबकि यह दिन-ब-दिन मुश्किल होता जाएगा

    भरमाएगा आस-पास और पड़ोस और नगर

    लेकिन घृणा नहीं सब कुछ में यक़ीन बचाए रखना है मुझे

    स्थितियाँ अब भी संभावनाओं से ख़ाली नहीं

    बच्चे अब भी हँस रहे हैं

    उनकी हथेलियाँ अब भी मुलायम और सफ़ेद हैं

    और अब भी सख़्त होते समय पर उनकी पकड़ मज़बूत है

    स्रोत :
    • रचनाकार : अविनाश मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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