होने की बातें

hone ki baten

लवली गोस्वामी

लवली गोस्वामी

होने की बातें

लवली गोस्वामी

तुम धरती पर पर्वत की तरह करवट लेटना

तुम पर नदियाँ चाहना से भरी देह लिए इठलाती बहेंगी

तुम भव्यता और मामूलीपन की दाँतकाटी दोस्ती में बदल जाना

तुम पर लोक कथाएँ अपनी गीली साड़ियाँ सुखाएँगी

तुम रात के आकाश का नक्षत्री विस्तार हो जाओ

दिशाज्ञान के जिज्ञासु तुम्हारा सत्कार करें

तुम पानी की वह बूँद होना

जो कुमारसंभव की तपस्यारत पार्वती की पलकों पर गिरी

जिसने माथे के दर्प से हृदय के प्रेम तक की यात्रा पूरी की

तुम चरम तपस्या में की गई वह अदम्य कामना होना

अगर होना ही है तो लता का वह हिस्सा होना

जो एक तरफ़ मूर्च्छा से उठी वसंतसेना थामती है

दूसरी तरफ़ भिक्षु संवाहक

तुम आसक्ति और संन्यास की संधि होना

तुम्हारी निश्छल आँखों में संध्या तारा बनकर फूटे बेला की कलियाँ

नेह से भर आए स्वर में प्राप्तियों की मचलती मछलियाँ गोता लगाएँ

तुम मन की ऊँची उड़ान से ऊब कर टूटा पंख बनना

कोई आदिवासिन नृत्यांगना तुम्हें जूड़े में खोंसेगी

तुम उसकी क़दमताल पर थिरकना

जो तुम्हें माथे सजाए

उसकी चाल की लय पर डूबना-उबरना।

स्रोत :
  • रचनाकार : लवली गोस्वामी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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