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हत्यारे कुछ नहीं बिगाड़ सकते

hatyare kuch nahin bigaD sakte

चंद्रकांत देवताले

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चंद्रकांत देवताले

हत्यारे कुछ नहीं बिगाड़ सकते

चंद्रकांत देवताले

और अधिकचंद्रकांत देवताले

    नाम मेरे लिए

    पेड़ से एक टूटा पत्ता

    हवा उसकी परवाह करे

    मेरे भीतर गड़ी दूसरी ही चीज़ें

    पृथ्वी की गंध और

    पुरखों की अस्थियाँ उनकी आँखों समेत

    मेरे मस्तिष्क में तैनात

    संकेत नक्षत्रों के बताते जो

    नहीं की जा सकती सपनों की हत्या

    मैं नहीं ज़िंदा

    तोड़ने कुर्सियाँ

    जोड़ने हिसाब

    ईज़ाद करने करिश्मे शैतानों के

    मैं हूँ उन असंख्य आँखों में

    जो भूखी

    एक फूल पौध की तरह

    ज़िंदगी को पनपते देखने के लिए

    हत्यारे कुछ नहीं बिगाड़ सकते

    वे नहीं जानते ठिकाने

    रहस्य सुंदरता के छिपे

    कहाँ-कहाँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : जहाँ थोड़ा-सा सूर्योदय होगा (पृष्ठ 155)
    • रचनाकार : चंद्रकांत देवताले
    • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
    • संस्करण : 2008

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