Font by Mehr Nastaliq Web

हँसते हुए मेरा अकेलापन

hanste hue mera akelapan

मलयज

अन्य

अन्य

मलयज

हँसते हुए मेरा अकेलापन

मलयज

एक तनाव-मूर्ति

जीवन की बहुमूल्य व्यर्थताओं से

ओढ़ाई हुई एक ठेलमठेल गलियारे में

जहाँ उसकी उँगलियों पर बढ़ते हुए नाख़ूनों की

चमक थी, एक ख़रोंच धीमी लपट की लकीरों से

उस चमक को सहलाती हुई खाती हुई एक भूख

हरी पत्तियों के दरिंदे अंतरालों को चबाती हुई

एक आकृति जिसके आँख, कान, मुँह, हाथ, पैर कुछ था

दिशासूचक तख़्तियों पर चुप्पी पुती थी

वहीं जीभ से अलग कटी पड़ी हुई भाषा

जहाँ हकला-हकला कर चीज़ों से चीज़ों को जोड़ रही थी

मैंने उसे पाया खिलखिला कर हँसते हुए मेरा अकेलापन।

स्रोत :
  • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 1)
  • रचनाकार : मलयज
  • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
  • संस्करण : 1971

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY