हमारे पूर्वज सीरीज़ में सबसे पहले प्रभाकर शुक्ल

hamare purwaj series mein sabse pahle prabhakar shukl

देवी प्रसाद मिश्र

देवी प्रसाद मिश्र

हमारे पूर्वज सीरीज़ में सबसे पहले प्रभाकर शुक्ल

देवी प्रसाद मिश्र

प्रभाकर शुक्ल को प्रधानमंत्री होना चाहिए था—ग़नीमत है कि उन्होंने प्रतापगढ़ की एक तहसील में एक स्कूल का प्रिंसिपल रहकर उम्र गुज़ार दी, लेकिन उन्होंने स्कूल का उतना ही कबाड़ा किया जितना किसी भी प्रधानमंत्री ने इस देश का किया है। उनकी पत्नी ने और ख़बर पक्की है कि उनकी बेटियों ने भी चपरासियों से पैर दबवाए टीचरों से सब्ज़ी मँगवाई और तबला सर से जहाँ तहाँ तेल लगवाया सर में भी लगवाया।

भुवनेश्वर दत्त जिनके ज़िले में कई स्कूल थे, से कहकर उनकी नियुक्ति हुई थी—क्वालिफ़िकेशन यह थी कि बैद जी के बेटे थे, मामख़ोर सुकुल थे और दो थर्ड क्लास यमए—हिंदी और एजुकेशन में।

प्रभाकर शुक्ल नेहरू और फिर इंदिरा जी के भक्त थे—कांग्रेसी थे, लेकिन 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' का अवधी अनुवाद भी नहीं पढ़ा था और आंबेडकर का नाम भी नहीं सुनना चाहते थे इतने बदज़ात ब्राह्मण थे। आप नमस्कार करें तो काफ़ी देर बाद नोटिस लेते थे कि जैसे समानता के विचार पर कितनी तो लानत भेज सकें।

स्रोत :
  • रचनाकार : देवी प्रसाद मिश्र
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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