शोक

shok

आशुतोष कुमार

शोक एक मर चुका शब्द है

इसे भाव विगलित होकर व्यक्त करना होता है

विनम्रता और श्रद्धा का अतिरेक इसे

नाटकीय नहीं सहनीय

बनाने के काम आता है

इसके रस्मो-रिवाज तवील होते हैं

क़ायदे-क़ानून तयशुदा

संस्कार अनुष्ठानपूर्वक किए जाते हैं

दस दिन तेरह दिन महीने भर और

कभी-कभी वर्षों तक इसे चलाया जाता है

इसकी समाधि यथाशक्ति भव्य बनाई जाती है

शक्ति और समय कम पड़ने पर

इसकी माटी जानवरों या जलजीवों के लिए

छोड़ी जा सकती है

सब कुछ

जो याद रखने के नाम पर किया जाता है

वह असल में भुला देने की

एक असरदार कोशिश होती है

शब्द के मरते ही भाषा से

उसकी नागरिकता ख़ारिज हो जाती है

मनुष्य की जीवितों की मनुष्यता से

सबसे सुविधाजनक बात यह होती है कि

मृतक लौटकर नहीं आता

जीवितों के लिए

और मृतक के लिए भी

जीवित होना बचे रहने का उत्सव है

बचा होना जीवित रहने की यातना

मारे गए अनगिनत शब्द

सबसे प्यारे

सबसे सजीले लोग

मारे गए

सिर्फ़ बचे रहने के लिए हम भूल गए

कि वे क्यों मारे गए!

स्रोत :
  • रचनाकार : आशुतोष कुमार
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY