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प्रभु का संदेश

prabhu ka sandesh

एनरीक़ बुस्तमान्ते बैलीवियन

अन्य

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और अधिकएनरीक़ बुस्तमान्ते बैलीवियन

    पहाड़ियों की चोटी पर

    ऊँचे, जंग से काले

    तारों से कसे हुए

    तार के खंभे

    खड़े हैं,

    रेल की खिड़की—

    के शीशे गिरे हुए

    उनके बीच से मैं देख रहा हूँ

    ईसा को इन खंभों पर

    कीलों से जड़ दिया गया है

    उसकी दोनों बाहें फैली हैं।

    हाथ और पाँव

    से ख़ून बह रहा है

    पर वह शांत है

    स्वच्छ पारदर्शी जल की तरह

    शांत!

    तार

    बिजली से भरे हुए तार

    काँपते हैं

    झनझनाते हैं

    उनमें से शब्द दौड़ रहे हैं

    इच्छाएँ जा रही हैं।

    ईसा रक्त बहने से बेहोश हो रहा है

    इनमें से कोई शब्द ऐसा नहीं

    जो उसके काम का हो

    इनमें से कोई संदेश

    उसके पवित्र पिता प्रभु का संदेश नहीं।

    एक अबाबील का छोटा बच्चा

    जिसके पंखों में अब भी अंडे की

    सफ़ेदी का स्वाद है

    उसे चहक कर बता रहा है

    प्रभु का संदेश

    जीवन का मर्म

    जो सारी दुनिया के तार बेतार अपनी समस्त

    वैज्ञानिक संकेत ध्वनियों में नहीं बता पाएँगे

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 285)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : एनरीक़ बुस्तमान्ते बैलीवियन
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960

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