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नाक

naak

शोभा अक्षर

अन्य

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और अधिकशोभा अक्षर

    वह बारह साल की थी

    जून की एक दोपहर

    ममेरे भाई ने घर पर

    बाथरूम के पास

    दबाए थे उसके हल्के उभरे स्तन

    और ज़बरन हाथ को

    चमड़े के बेल्ट के नीचे

    पैंट की चेन के भीतर डाल दिया था

    बेल्ट के बक्कल पर बना हुआ था

    अँग्रेज़ी का एम

    लंबी-लंबी साँसें लेते हुए वो पकड़ा रहा था

    बार-बार उसे अपना गुप्ताँग

    जिसे उसने फ़ुर्ती से बाहर निकाल कर

    रख दिया था

    वैसे ही

    जैसे सजाए जाते हैं पारदर्शी काँच के भीतर

    सर्राफ़े की दुकान में सोने और चाँदी के ज़ेवर

    अभी मई में उसने क्लास फिफ्थ का

    फ़ाइनल पेपर दिया था

    और थोड़ी देर पहले तक उसे

    करसिव राइटिंग में

    कैपिटल एम लिखना बेहद पसंद था

    उसके जीवन में हर रोज़ की तरह

    जब उस दिन भी

    आसमान में ढेर सारे हवाई जहाज़

    रफ़ कॉपी के पन्नों से बने हुए

    उड़ रहे थे

    उसी वक़्त उस ममेरे भाई की आँखों में

    हवस, करंट की तरह दौड़ रही थी

    ख़रगोश की तरह झटकते हुए

    पूरी ताक़त बटोर कर

    छुड़ा लिया था उसने अपना हाथ

    लेकिन उसकी उँगलियों में

    एक क़िस्म की गँध

    अभी बची हुई थी

    घिनौने लिज-लिजेपन से लिपटी हुई

    तेज़ी से डर कर भागी थी वह

    यह सोचते हुए

    कि अब तो कट जाएगी 'नाक'

    नाक जिसे उसकी माँ ने चुपचाप

    नानी के कहने पर

    कई सालों से छुपा कर रखा है

    एक गंदे पुराने सिकुड़े हुए चौकोर कपड़े में गठिया कर

    किनारी जिसकी उधड़ी हुई है

    कपड़े के कोने पर

    बना हुआ है सफ़ेद कबूतरों का एक जोड़ा

    अब वह थोड़ी बड़ी हो गई है

    और अट्ठाइस नंबर के साइज़ की

    सी-कप ब्रा पहनती है

    एक बार इसी लड़की ने अपने सगे भाई को

    थप्पड़ मार दिया था

    घर के पास एक पुलिस स्टेशन में सबके सामने

    उसी दिन से उसका कोई सगा भाई नहीं है

    और ये वही लड़की है जिसकी वजह से

    अक्सर कट जाती है नाक

    नाक बहुत बड़ी है

    कटते-कटते ख़त्म भी नहीं हो रही है

    स्रोत :
    • रचनाकार : शोभा अक्षर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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