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चीज़ें बदल रही हैं

chizen badal rahi hain

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

चीज़ें बदल रही हैं

चंद्रेश्वर

चीज़ें बदल रही हैं

इस क़दर तेज़ी से साथ

कि दिमाग़ में स्थिर नहीं हो पाती

कोई एक भी शक्ल

कितना तेज़ी से बदल रहा है बाज़ार

कि सुबह का देखा

पहचान में नहीं आता

शाम तलक़

स्वाद बदल रहा है

मेरे कुएँ के पानी का

लोग बदल रहे हैं

जगहें

राजनेता दल

मनचले युवक लगातार बदल रहे हैं

अपनी प्रेमिकाएँ

कई युवतियाँ प्रेमी

ऐसे में भी

किसी पुराने संगीत की धुन की तरह

कोई प्रवेश कर गया है

मेरे विचारों में

कि इस क़दर तेज़ी से बदलते संसार में

फिर भी

मैं झटक नहीं पाता

अपने विचार!

स्रोत :
  • रचनाकार : चंद्रेश्वर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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