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पहाड़ पर लालटेन

pahaD par lalten

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

जंगल में औरतें हैं

लकड़ियों के गट्ठर के नीचे बेहोश

जंगल में बच्चे हैं

असमय दफ़नाए जाते हए

जंगल में नंगे पैर चलते बूढ़े हैं

डरते-खाँसते अंत में ग़ायब हो जाते हुए

जंगल में लगातार कुल्हाड़ियाँ चल रही हैं

जंगल में सोया है रक्त

धूप में तपती हुई चट्टानों के पीछे

वर्षों के आर्तनाद हैं

और थोड़ी-सी घास है बहुत प्राचीन

पानी में हिलती हुई

अगले मौसम के जबड़े तक पहुँचते पेड़

रातोंरात नंगे होते हैं

सूई की नोक जैसे सन्नाटे में

जली हुई धरती करवट लेती है

और एक विशाल चक्के की तरह घूमता है आसमान

जिसे तुम्हारे पूर्वज लाए थे यहाँ तक

वह पहाड़ दुख की तरह टूटता आता है हर साल

सारे वर्ष सारी सदियाँ

बर्फ़ की तरह जमती जाती हैं निःस्वप्न आँखों में

तुम्हारी आत्मा में

चूल्हों के पास पारिवारिक अंधकार में

बिखरे हैं तुम्हारे लाचार शब्द

अकाल में बटोरे गए दानों जैसे शब्द

दूर एक लालटेन जलती है पहाड़ पर

एक तेज़ आँख की तरह

टिमटिमाती धीरे-धीरे आग बनती हुई

देखो अपने गिरवी रखे हुए खेत

बिलखती स्त्रियों के उतारे गए गहने

देखो भूख से बाढ़ से महामारी से मरे हुए

सारे लोग उभर आए हैं चट्टानों से

दोनों हाथों से बेशुमार बर्फ़ झाड़कर

अपनी भूख को देखो

जो एक मुस्तैद पंजे में बदल रही है

जंगल से लगातार एक दहाड़ रही है

और इच्छाएँ दाँत पैने कर रही हैं

पत्थरों पर।

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व्योमेश शुक्ल

व्योमेश शुक्ल

स्रोत :
  • रचनाकार : मंगलेश डबराल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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