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वह दूर से मुझे देखती है

wo door se mujhe dekhti hai

अनुवाद : सईद शेख़

एल्वी सिनेर्वो

अन्य

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एल्वी सिनेर्वो

वह दूर से मुझे देखती है

एल्वी सिनेर्वो

और अधिकएल्वी सिनेर्वो

    वह एक मज़दूर औरत थी। वह अनेकों में थी एक,

    अर्सा पहले उसका नाम भुला दिया गया।

    सिर्फ़ आज मैं उसकी प्रशंसा कर रही हूँ, उसकी वीरता

    मैं उसके चेहरे को ग्रेनाइट में तराशना चाहती हूँ।

    वह दूर से मुझे देखती है, पीछे खुली हुई है क़ब्र।

    जिसे फाँसी की सज़ा पाए लोगों ने मौत के पहले खोदा था

    का बखान कर रही हूँ।

    तीस साल से ज़्यादा बीत चुके हैं, और आज भी मुझे वह उसी तरह

    देखती है

    वह देखती है और इंतज़ार करती है।

    उसके हाथ बँधे थे, उसके कपड़े चीथड़े थे

    और बालों की काली लपटें उसके सर के आसपास थीं।

    अपनी क़ब्र के नज़दीक, खुली हुई पीठ, कामरेडों के बीच वह थी जैसे

    उनमें से एक, अलग की जा सकने वाली, और फिर भी अकेली।

    वह दुखी नहीं थी। अपना सर ऊँचा उठाए उसने घटनाओं को विरक्ति से

    देखा मृत्यु से हुई नहीं भयभीत

    उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा, ही अपने जीवन के लिए रोई।

    उसने बंदूक़ की नलियों से दूर आने वाले युग को देखा।

    वह युग जिसे हम जी रहे हैं, जिससे मुझमें कवयित्री ने जन्म लिया है,

    संघर्ष की अंतहीनता के बारे में गाने के लिए

    समय के शिखर पर चढ़ती हूँ और देखती हूँ। जानती हूँ वह

    घटित होगा, जिसे वह, जिसे वह नामहीन मज़दूर औरत मरते हुए

    जानती थी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 206)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : एल्वी सिनेर्वो
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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