अक्सर मैं पाठशाला से गृह को

aksar main pathashala se grih ko

एमिली डिकिन्सन

एमिली डिकिन्सन

अक्सर मैं पाठशाला से गृह को

एमिली डिकिन्सन

 
अक्सर मैं पाठशाला से गृह को
लौटते वक़्त गाँव से गुज़रती थी—
अचरज करती थी कि लोग वहाँ क्या करते थे
और क्यों वहाँ इतनी शांति रहती थी—
 
उन दिनों वह साल मैं नहीं जानती थी—
जब मेरे नाम की पुकार होगी—
समय-चक्र के अनुसार—अन्यों के
विदा होने के पहले ही—
 
डूबते सूरज से भी बढ़कर यहाँ शांति—
प्रातः काल से बढ़कर शीतलता—
डेज़ी के फूलों में यहाँ आने का साहस है—
और उड़ते हुए पक्षी उतर सकते यहाँ—
 
इसलिए तुम जब थक जाना—
या अपने को चकित या उदासीन पाते हो—
विश्वास करना उस स्नेहमय वचन में
मिट्टी के नीचे जो पड़ा है—
चिल्लाना “मैं हूँ”, गुड़िया थामो” चिल्लाना,
और मैं अंक में भर लूँगी!
 
स्रोत :
  • पुस्तक : एमिली डिकिन्सन की कविताएँ : संचयन (पृष्ठ 34)
  • रचनाकार : एमिली डिकिन्सन
  • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली
  • संस्करण : 2011
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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