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देना

dena

अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर

मंगेश पाडगाँवकर

अन्य

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और अधिकमंगेश पाडगाँवकर

    हम कुछ देते हैं

    याने क्या देते हैं?

    एकाध फूल देते हैं :

    यह तो अपने हाथ आया

    पहले का ही देना होता है

    फूल फूल नहीं होता

    वह एक चिह्न होता है खिलने का

    बिलकुल वैसा ही होता है देना

    देना भी एक होता है चिह्न

    एक असीम होने का

    अपना कुछ भी होने का

    अपना कुछ होने का रंग होता है

    अपना कुछ होने की गंध होती है

    अपना कुछ होना ही खिलना होता है

    अपने अंदर की बरसात में भीगना होता है

    नि:शब्द में ही शब्दों का अकारण उगना होता है,

    जैसा जीना होता है वैसा मरना होता है

    एकाध गीत गाकर दिखलाना जैसा होता है

    अपना जीना मरण को देना आता है :

    अपना कुछ भी शेष नहीं बचता

    और खिलना कम नहीं होता!

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता मनुष्यों के लिए (पृष्ठ 42)
    • रचनाकार : मंगेश पाडगांवकर
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2006

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