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तुम्हें गर्व है, तुमने छिपकर तीर चलाए

tumhein garw hai, tumne chhipkar teer chalaye

कृष्ण मुरारी पहारिया

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कृष्ण मुरारी पहारिया

तुम्हें गर्व है, तुमने छिपकर तीर चलाए

कृष्ण मुरारी पहारिया

और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया

    तुम्हें गर्व है, तुमने छिपकर तीर चलाए

    मुझे गर्व है, मैंने उनको सहन कर लिया

    तुमने मेरी शुभचिंता के अभिनय में जब

    ठगवत अपने मीठे-मीठे बोल निकाले

    तब पहले तो मुझको कुछ विश्वास हुआ था

    अब समझा हूँ मीत तुम्हारे करतब काले

    तुम्हें गर्व है, तुमने मुझको विष दे डाला

    मुझे गर्व है, मैंने हँसकर ग्रहण कर लिया

    मुसकाते हो अब तुम मेरी दशा देखकर

    सोच रहे हो अंतर मेरा रोता होगा

    मेरे कौशल को समझोगे आगे चलकर

    तुम डूबोगे ऐसे, अंतिम ग़ोता होगा

    तुम्हें गर्व है, तुमने मेरी पीर बढ़ाई

    मुझे गर्व है, मैंने चिंतन गहन कर लिया

    स्रोत :
    • पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 44)
    • रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
    • प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
    • संस्करण : 1998

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