कृष्ण मुरारी पहारिया की कविताएँ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1938 | बाँदा, उत्तर प्रदेश
सन् 1950 से कविता सीखने-लिखने की शुरुआत। पहले ख़ुद को प्रगतिशील माना, फिर इस प्रकार के विशेषणों से मुक्त हुए। 'यह कैसी दुर्धर्ष चेतना' कविताओं की एकमात्र किताब।
सन् 1950 से कविता सीखने-लिखने की शुरुआत। पहले ख़ुद को प्रगतिशील माना, फिर इस प्रकार के विशेषणों से मुक्त हुए। 'यह कैसी दुर्धर्ष चेतना' कविताओं की एकमात्र किताब।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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