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कभी जब याद आ जाते

kabhi jab yaad aa jate

नामवर सिंह

अन्य

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नामवर सिंह

कभी जब याद आ जाते

नामवर सिंह

और अधिकनामवर सिंह

    कभी जब याद जाते।

    नयन को घेर लेते घन,

    स्वयं में रह पाता मन

    लहर से मूक अधरों पर

    व्यथा बनती मधुर सिहरन

    दुख मिलता सुख मिलता

    जाने प्राण क्या पाते!

    तुम्हारा प्यार बन सावन,

    बरसता याद के रसकन

    कि पाकर मोतियों का धन

    उमड़ पड़ते नयन निर्धन

    विरह की घाटियों में भी

    मिलन के मेघ मड़राते।

    झुका-सा प्राण का अंबर,

    स्वयं ही सिंधु बन बन कर

    हृदय की रिक्तता भरता

    उठा शत कल्पना जलधर।

    हृदय-सर रिक्त रह जाता

    नयन-घट किंतु भर आते

    कभी जब याद जाते।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रारम्भिक रचनाएँ (पृष्ठ 27)
    • संपादक : भारत यायावर
    • रचनाकार : नामवर सिंह
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2013

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