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बादलों-जैसा इंसान

badlon jaisa insan

अनुवाद : उत्पल बैनर्जी

शंख घोष

अन्य

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शंख घोष

बादलों-जैसा इंसान

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    मेरे सामने से

    बादलों-जैसा वह इंसान चला जा रहा है

    उसकी देह को थपकने से

    लगता है पानी झरने लगेगा

    मेरे सामने से

    बादलों-जैसा वह इंसान जा रहा है

    उसके पास जाकर बैठने पर

    लगता है छाया उतर आएगी

    वह देगा, या कि लेगा? वह आश्रय है, या कि आश्रय चाहता है?

    मेरे सामने से

    बादलों-जैसा वह इंसान चला जा रहा है

    उसके सामने जाकर खड़े होने से

    हो सकता है मैं भी कभी बादल बन जाऊँ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : छंद के भीतर इतना अंधकार (पृष्ठ 130)
    • रचनाकार : शंख घोष
    • प्रकाशन : सेतु प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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