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एक सिल्वर जुबली फ़िल्म की बात

ek silwer jubile film ki baat

हरि मृदुल

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हरि मृदुल

एक सिल्वर जुबली फ़िल्म की बात

हरि मृदुल

और अधिकहरि मृदुल

     

    एक बूढ़े हीरो की ज़ुबानी

    मध्यांतर तक समझता रहा था कि 
    फ़िल्म का हीरो मैं हूँ
    मध्यांतर के बाद अचानक पाया कि 
    मैं तो विलेन में बदल चुका हूँ
    और जिसे मैं फ़िल्म की शुरुआत से ही विलेन 
    समझ रहा था
    असली हीरो की दावेदारी उसने ठोक दी थी
    मारक मुस्कराहट के साथ हीरोइन 
    उसकी बाँहों में थी
    मैं ठगा-सा देखता रह गया था

    वह एक बहुत पुरानी फ़िल्म थी
    जिसके लिए मैंने कामना की थी
    कि फ़्लॉप साबित हो
    एक भी दर्शक न मिले
    लंबे समय तक सिनेमाघरों में 
    लगी रही

    सिल्वर जुबली!!

    हालाँकि इस बात को 
    अरसा बीत चुका
    मेरे सिवा अब इस फ़िल्म का कोई 
    नामलेवा नहीं
    दुनिया तो कब की भूल चुकी है कि
    ऐसी भी कोई फ़िल्म कभी रिलीज़ हुई थी

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरि मृदुल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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