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चोट और फ़िलिस्तीन

chot aur filistin

प्रेमा झा

अन्य

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प्रेमा झा

चोट और फ़िलिस्तीन

प्रेमा झा

और अधिकप्रेमा झा

    फ़िलिस्तीन को माँ

    इज़राइल को बाप चाहिए

    इश्तिहार ज़ारी है

    सत्ता अगर होती माँ

    बच्चों का ख़ून नहीं होता

    आदमी राक्षस हो गया है

    यह राक्षस के लिए गाली है!

    शवदाह स्थल अगर पिता होता

    तो हर मृत्यु होता एक नाजायज़ रिश्ता

    ख़ून का बहना मुल्क देखता बहुत है

    नहीं देखता है बस कपास का रंग

    मिट्टी, खेत और पानी

    तितली, फूल, पहाड़ और झरना

    यह सब स्वर्ग में होता है

    कुत्ता वो कभी नहीं करता जो तुम नहीं बोलते

    जो तुम बोलते हो वो सुनता है और झपट लेता है झट से एक रोटी

    जैसे ठग लेती है वोट फ़रेबी सरकार

    सड़क पर बीच दोपहर रोते हुए बाप से पूछो—

    दुःख क्या होता है?

    चित्कारती हुई माँ से करो एक प्रश्न

    हुक्मरान मिले तो क्या सबसे पहले करोगी?

    रोटी की लाइन में वह देखो

    छ: मासा बच्चा माँ की गोद से लिपटा है

    शायद वह फिर गर्भवती है!

    बताओ बच्चा कहाँ जनना चाहोगी?

    फफ़क कर रोती है

    और कहती है पाताल में

    जहां एक देवता रहता है

    काश! ख़ूब ज़ोर गर्मी हो

    स्टेशन पर खड़ी सरकार हो

    अफ़सर बीमार हो

    चापाकल, नल, टंकी, नदी, तालाब सब सूख जाए

    आने वाली गाड़ी सके

    और किसी शहर में चक्काजाम हो

    मजदूर एकदम से असलहा मांग लें

    गोली की दुकानें तमाम खुली हो

    मिनिस्टर्स रेल की पटरी पर हो

    औरतें हल्ला बोल दे

    फिर तुम कहोगे रोटी सबने खाई है

    भूख एक वृहत्तर घनत्व है!

    चोट एक छोटी-सी राजनीति

    बस इसे ही फ़र्क़ कहते है!

    बच्चे को गोली लगी है

    आह हाहा!!! ओह्ह हो हो!!

    आदमी एक खूँखार जाति है

    कहता हुआ वह मर जाएगा

    फिर कोई नहीं होगा— बच्चा, पत्ता,

    खिड़की, स्कूल, मिल्कियत, जम्हूरियत!

    काबा, किल्बा, दुकान, मंदिर

    तुम क्या करोगे फिर?

    हे! मठाधीश

    मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा

    इसलिए कुछ नहीं करोगे तुम

    सच है!

    तुम और कुत्ता बिल्कुल एक जैसे हो!

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रेमा झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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