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चोरी

chori

गीत चतुर्वेदी

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    प्रेम इस तरह किया जाए

    कि प्रेम शब्द का कभी ज़िक्र तक हो

    चूमा इस तरह जाए

    कि होंठ हमेशा ग़फ़लत में रहें

    तुमने चूमा

    या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया

    छुआ इस तरह जाए

    कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर

    हरे-हरे सपने उग आएँ

    तुम्हारी देह के छज्जे के नीचे

    मुँहअँधेरे जलतरंग बजाएँ

    रहा इस तरह जाए

    कि नींद के भीतर एक मुस्कान

    तुम्हारे चेहरे पर रहे

    जब तुम आँख खोलो, वह भेस बदल ले

    प्रेम इस तरह किया जाए

    कि दुनिया का कारोबार चलता रहे

    किसी को ख़बर तक हो कि प्रेम हो गया

    ख़ुद तुम्हें भी पता चले

    किसी को सुनाना अपने प्रेम की कहानी

    तो कोई यक़ीन तक करे

    बचना प्रेमकथाओं का किरदार बनने से

    वरना सब तुम्हारे प्रेम पर तरस खाएँगे

    स्रोत :
    • रचनाकार : गीत चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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