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चीज़

cheez

मलयज

अन्य

अन्य

मलयज

चीज़

मलयज

और अधिकमलयज

    चीज़ों में नहीं

    चीज़ों के बारे में

    कोई चीज़ चली गई है—

    उसके लौटने की राह टटोलता हूँ

    एक पका हुआ बाल

    दिन की समाप्ति पर कंधे पर लगा हुआ

    पाता हूँ

    खाल ओढ़ कर लोग घूम रहे हैं

    मौसम सुहाना हो चला है अब

    वहीं जाता हूँ

    चीज़ों में हमेशा से बिगड़ी एक बर्बर तरतीब के पास

    लेने

    जैसे मुख्य दरवाज़े पर रख देते हैं जूता छाता गठरी

    भीतर जाकर कुछ खो आने के पहले

    वही मुद्राएँ

    जिन्हें साधिकार अपना कह सकूँगा

    बाहरी जेब में रखे

    उस शब्द से

    जिसकी पहचान नहीं आस-पास

    ही चीज़ों में

    बाहर का सब कुछ जल्दी जल्दी समेट

    डाल दिया है भीतर

    पकने

    इंतिज़ार में

    डाल से टूट कर गिरी हुई कच्ची मौत

    पकने के पहले लगी है सड़ने

    इंतज़ार में

    व्यवस्था की लपट में झुलसता

    फावड़े को फावड़ा कहूँ खड़ा हूँ

    कोई लाकर रख दे फावड़ा

    मेरे सामने।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 31)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
    • संस्करण : 1971

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