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बूढ़ी औरतों की दास्तान

buDhi aurton ki dastan

तादेऊष रूज़ेविच

अन्य

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तादेऊष रूज़ेविच

बूढ़ी औरतों की दास्तान

तादेऊष रूज़ेविच

और अधिकतादेऊष रूज़ेविच

    मुझे पसंद हैं बूढ़ी औरतें

    वीभत्स औरतें

    दुष्ट औरतें

    वे धरती का नमक हैं

    वे घृणा नहीं करतीं

    मनुष्य के मल से

    वे सिक्के का

    प्यार का

    आस्था का

    दूसरा पहलू जानती हैं

    आते हैं जाते हैं

    तानाशाह मसखरे

    इंसानों के ख़ून से

    हाथ अपने रंग लेते हैं

    बूढ़ी औरतें अलस्सुबह जागती हैं

    गोश्त फल रोटी ख़रीदती हैं

    झाड़बुहार करती हैं खाना पकाती हैं

    गलियों में हाथ बाँधे

    ख़ामोश खड़ी हो जाती हैं

    बूढ़ी औरतें

    अमर हैं

    हैमलेट जाल में फँसा तड़पता है

    फ़ाउस्ट घिनौनी और हास्यास्पद भूमिका—

    निभाता है

    रस्कोल्निकोव कुल्हाड़े से वार कर डालता है

    बूढ़ी औरतें

    अनश्वर हैं

    प्यार से मुस्कुराती हैं

    ईश्वर मर जाता है

    बूढ़ी औरतें रोज़ सुबह उठती हैं

    रोटी शराब मछली ख़रीदने जाती हैं

    सभ्यता मर जाती है

    बूढ़ी औरतें अलस्सुबह जागती हैं

    खिड़कियाँ खोलती हैं

    कचरा साफ़ करती हैं

    आदमी मरता है

    बूढ़ी औरतें

    लाशों को नहलाती हैं

    मुर्दों को दफ़नाती हैं

    क़ब्रों पर

    फूल लगाती हैं

    मुझे पसंद हैं बूढ़ी औरतें

    भद्दी औरतें

    ख़राब औरतें

    वे शाश्वत जीवन में आस्था रखती हैं

    धरती का नमक हैं।

    वृक्ष की छाल हैं

    जानवरों की निरीह आँखें हैं

    कायरता और पराक्रम को

    महानता और क्षुद्रता को

    वे सही अनुपात में

    दैनिक जीवन की माँगों के

    बराबर रख कर नापती हैं

    उनके बेटे अमरीका खोज निकालते हैं

    थरमाँ पिलै में मरते हैं

    सलीबों पर दम तोड़ देते हैं

    ब्रह्मांड को जीत लाते हैं

    बूढ़ी औरतें अलस्सुबह बाज़ार

    जाती हैं दूध रोटी

    गोश्त लाती हैं शोरबा बनाती हैं

    खिड़कियाँ खोलती हैं

    सिर्फ़ वज्र मूर्ख ही हँसते हैं

    बूढ़ी औरतों

    बुरी औरतों पर

    क्योंकि वे सुंदर औरतें हैं

    अच्छी औरतें हैं

    बूढ़ी औरतें

    एक अंडा हैं

    एक रहस्य विहीन भेद हैं

    लुढ़कती हुई गेंद हैं

    बूढ़ी औरतें

    पवित्र बिल्लियों की

    ममियाँ हैं

    नाटी वे

    झुर्रियों से भरी वे

    निस्तेज हैं

    फलों का

    चर्बी का स्रोत हैं

    अंडाकार बुद्ध हैं

    जब वे मरने लगती हैं

    तो उनकी आँखों से झरता है

    एक आँसू

    और उनके होठों पर

    एक युवा लड़की की मुस्कान से

    जा मिलता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 156)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : तादेऊष रूज़ेविच
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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