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आठ सितंबर

aath sitambar

पाब्लो नेरूदा

अन्य

अन्य

पाब्लो नेरूदा

आठ सितंबर

पाब्लो नेरूदा

और अधिकपाब्लो नेरूदा

    आज, इस दिन जाम भरा था लबालब,

    आज, इस दिन उठी थी उन्नत लहर

    आज, थी समूची पृथ्वी।

    आज तूफ़ानी सागर ने

    हमें ऊपर एक चुंबन में उठाया

    इतना ऊपर कि हम काँप उठे

    बिजली की कौंध के बीच

    और उतरे नीचे संग-संग बिंधे

    ताकि गुथे हुए ही हो सकें जलमग्न।

    आज हम दोनों की देह खिंच कर

    पृथ्वी के आख़िरी छोर तक फैल गई है

    और हम सिमट गए हैं

    बस एक बूँद में

    मोम की या एक उल्का में।

    तुम्हारे और मेरे बीच खुला एक नया द्वार

    और कोई, अब तक बेचेहरा

    हमारी प्रतीक्षा कर रहा था।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 303)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक विभा मौर्य, मीना ठाकुर
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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