बारिश कैसे आएगी

barish kaise ayegi

पद्मा सचदेव

पद्मा सचदेव

बारिश कैसे आएगी

पद्मा सचदेव

कहो ना कैसे अब बरखा आएगी

बरसते हैं मेघ कैसे

पुरवाई बहने लगी है आँख की कोरों से होकर

गड़कड़ा करता है बादल इस तरफ़ से उस तरफ़ तक

और देखो

चौंक उठे बच्चे सारे, डर माँ बनने वाली को

भर आया बदली का मन या क्या हुआ

इस जगह से उस जगह

गाड़ी की तरह चल रहा

चुप रहो कुछ देर सारे

क्या है यह भिड़ों के छत्ते की तरह

पुरवाई अपनी चूनर से हवा कर गई

महक फैली हर तरफ़

भैंस घबराई-सी है और उसका बच्चा भी

गोल-गोल घूम कर सुगंध पी रहा है

मोटी सी रस्सी तो है उसके गले में

तोड़ने की कर रहा कोशिश यह बच्चा भैंस का

बादलों की गड़गड़ाहट भाँप कर

कच्ची दुकान का मालिक डर गया है

डर गया है छोटा बच्चा सोते-सोते

कोयल का

गई लगती है बारिश

स्रोत :
  • पुस्तक : बीरबहूटियाँ (पृष्ठ 17)
  • रचनाकार : पद्मा सचदेव
  • प्रकाशन : साहित्य भंडार
  • संस्करण : 2018

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