वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-29
wartikal poetri ha last poemz 29
रोबेर्तो ख्वार्रोस
Roberto Juarroz

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-29
wartikal poetri ha last poemz 29
Roberto Juarroz
रोबेर्तो ख्वार्रोस
और अधिकरोबेर्तो ख्वार्रोस
नीचे की ओर पतझड़ कहाँ जाता है?
चीज़ों के नीचे यह क्या ढूँढ़ता है?
यह सभी रंगों को नीचे खींच कर फीका कर देता है
जैसे इसे उन चीज़ों को ख़राब करना चाहिए जो डूब रही हैं?
और हम चलते-फिरते पतझड़ की तरह
नीचे की ओर कहाँ धँसते जाते हैं?
पतझड़ ख़त्म हो जाता है, लेकिन हम फिर भी नीचे क्यों धँसते रहते है?
कौन सी ऊबड़-खाबड़ रोशनी है
जो हमारी नींव को खोखला कर देती है
या फिर नींव को मिटा देती है?
या फिर जीवन की नींव नहीं है
क्या सिर्फ़ ख़ालीपन में रोशनी तैरती रहती है?
पतझड़ हमें ऐसी गहराई की तरफ़ खींचता है
जो गहराई है ही नहीं।
गहराई में धँसते हुए
हम ऊँचाई की तरफ़ देखते रहते हैं
जिस ऊँचाई का वजूद गहराई से भी कम है।
- संपादक : अविनाश मिश्र
- रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
- प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21
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