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आत्मीय

atmiy

अनिल मिश्र

अन्य

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अनिल मिश्र

आत्मीय

अनिल मिश्र

और अधिकअनिल मिश्र

    मैं कई लोगों के नाम भूल रहा हूँ

    जो आत्मीय हो गए थे अलग-अलग दौर में

    वो होते हैं हमारे आस-पास

    उसी शहर में बहुत बार

    उन्हें हम देखते हैं कभी भीड़ में भागते हुए

    कभी टिकट के लिए लाइन में खड़े हुए

    कई बार वो सड़क दुर्घटना में घायल पड़े होते हैं

    और हम अपने दफ़्तर जाने की हड़बड़ी में

    उनका हुलिया देखना भी मुनासिब नहीं समझते

    उनके चेहरे मोहरे रोज़ ही बदल जाते होंगे थोड़ा

    कुछ और बाल सफ़ेद हो जाने की प्रक्रिया से गुज़र रहे होंगे

    सूखती जाती होगी रोज़ ही तनिक

    दुबारा मिलने की उनकी इच्छा

    दरक जाती होगी थोड़ी और

    उनकी थाले की ज़मीन बिना पानी के

    फिर मिलेंगे ऐसे कुछ लोग

    इस बात की संभावना कम है

    यही सच है

    उनके खाली किए गए कोष्ठकों में

    कोई धन सकता है कोई ऋण

    फिर भी मन के किसी कोने में

    जलती रहती है मद्धिम ज्योति

    पानी से नहीं प्यास पर टिकी है जीवन की आस

    बस या ट्रेन से

    बगल की सीट पर यात्रा करते हुए

    कभी कोई इतने विश्वास से पूछ लेता है नाम कि

    अंदर अचानक डर-सा दौड़ जाता है

    कोई कह दे

    अरे इतनी जल्दी सब भूल गए

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनिल मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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