Font by Mehr Nastaliq Web

आत्महत्या

atmahatya

सुमन केशरी

अन्य

अन्य

सुमन केशरी

आत्महत्या

सुमन केशरी

और अधिकसुमन केशरी

    उसने आत्महत्या की थी

    इसीलिए

    बरी था देश

    नेता बरी थे

    बरी था बाज़ार

    ख़रीददार बरी थे

    बरी थे माँ-बाप

    भले ही कोसा था उन्होंने

    उसकी नासमझी को बारंबार

    कि उसने इंजीनियरिंग छोड़

    साहित्य पढ़ा था

    सो भी किसी बोली का

    इससे तो भला था

    कि वह

    खेत में हल चलाता

    दूकान खोल लेता

    या यूँ ही वक़्त गँवाता

    कम से कम पढ़ाई का ख़र्चा ही बचता

    भाग्य को कोस लेते

    पर बची तो रहती कुछ इज़्ज़त

    पढ़ने से कुछ तो हासिल होता

    बरी थी प्रेमिका

    हार कर जिसने

    माँ-बाप का कहा माना था

    भाई बरी था

    बावजूद इसके कि फटकारा था

    बच्चों को उससे बात करने पर

    बरजा था पत्नी को

    नाश्ता-खाना पूछने पर

    बहन बरी थी

    उसने जाने कितने बरसों से राखी तक भेजी थी उसे

    बरी थे दोस्त

    परिचित बरी थे

    आख़िर कब तक समझाते

    उस नासमझ को

    कि कुछ से भला है

    किसी होटल में दरबान हो जाना

    या फिर सिक्योरिटी गार्ड की

    वर्दी पहन लेना

    आख़िर इंजिनियरी पढ़ा था वह

    ही मैनेजमेंट

    भला तो यह भी था कि

    क़िस्से-कहानी सुना

    या यूँ ही कुछ गा बजा

    भीख ही माँग लेता

    कुछ तो पेट भरता

    तो

    आख़िर पुलिस ने मान लिया

    कि आत्महत्या हुई

    उन्हीं किताबों के चलते

    जिनमें कल्पनाएँ थीं और थे सपने

    डरावनी आशंकाएँ थीं

    भ्रम थे अपने

    सो उसकी लाश के साथ किताबें भी जला दी गईं

    अब घर

    सपनों, अपनों और कल्पनाओं से मुक्त था

    अपने में मगन

    जमीन में पैवस्त…

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुमन केशरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए