असली हत्यारे

asli hatyare

पराग पावन

पराग पावन

असली हत्यारे

पराग पावन

असली हत्यारे बंदूक़ की असमर्थताओं को जानते हैं

वे पहचानते हैं तलवार की सीमाओं को

असली हत्यारे शब्दों से क़त्ल का काम लेते हैं

असली हत्यारे परिणाम में नहीं प्रक्रिया में शामिल हैं

वे मरघट के मुहाने पर संभोग के गीत बेच रहे हैं

भीषण बारिश के मौसम में

छतरियों को बदनाम कर रहे हैं

असली हत्यारे महफ़िल के केंद्र में बैठे हुए

महफ़िल के केंद्र को गाली दे रहे हैं

कि महफ़िल का केंद्र सलामत रहे उनकी परंपरा के लिए

चाक़ू की निंदा करने का काम

और कच्चे लोहे की दुकान खोलने का काम

वे समान भोली मुस्कान के साथ करते चले जा रहे हैं

असली हत्यारे आपकी बग़ल में खड़े होकर चाय पी रहे हैं

और चाय के ख़ून से महँगा होने की शिकायत कर रहे हैं

असली हत्यारों की उम्र हज़ार साल है

वे धर्मग्रंथों की ओट में बैठे हैं

वे आत्मा नहीं आत्मा की परिभाषा हैं

हवा उन्हें सुखा नहीं सकती

आग जला नहीं सकती

पानी भिगो नहीं सकता

असली हत्यारे पुस्तकालय जाते हैं

संसद जाते हैं

दोस्त की दावत और टेलीविज़न से लौटते हैं

और सो जाते हैं

असली हत्यारे सोने से पहले याद दिलाना नहीं भूलते

कि सब कुछ अच्छा चल रहा है

असली हत्यारे बाँस बोते हैं

उस बाँस से सबसे उम्दा क़िस्म की लाठी

और सबसे निकृष्ट क़िस्म की बाँसुरी बनाते हैं

असली हत्यारों की शिनाख़्त करनी हो

तो उपसंहार तक कभी मत जाना

असली हत्यारे भूमिका में अपना काम कर चुके होते हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : पराग पावन
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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