ई चुप्पी कियै नहि टुटै छै
ii chuppi kiyai nahi tutai chhai
सब बाजि रहल छै
सब चिचिया रहल छै
सब कऽ रहल छै हल्ला
मुदा टूटि नहि रहल छै चुप्पी
बात छै कि
कियै जारिये छै लूट
एतऽ छै सब
राजनीति,
शिक्षा,
सुरक्षा,
स्वास्थ्य।
सब छै एतऽ।
सब कऽ रहल छै उद्योग
सब बाजि रहल छै
सब फोरि रहल छै शब्दक हथौड़ीसँ
चुप्पीके चट्टान।
मुदा टूटि नहि रहल छै
कियै चुप्पी?
ई शब्द कहीं कपुर जकाँ
उड़ि तँ नहि रहल छै,
मुदा, लोकक मूड़ी सेहो हील रहल छै
तखन चुप्पी कियै नहि टूटि रहल छै?
बन्धु!
चुप्पी तोड़बाक क्षेत्र
आने ठाम अछि
जतऽ टूइट रहल अछि
चुप्पी
मात्र वाणीक चुप्पी नहि,
विचारक चुप्पी नहि,
संरचनाक चुप्पी सेहो
तोड़ल जा रहल अछि
शब्दक हथौड़ीसँ सेहो
तेँ ओतऽ
मूड़ी मात्र नहि
संरचने सम्पूर्ण
हील रहल अछि।
एतऽ तँ नाटके ने होइ छै।
एतऽ तँ भाषणे ने होइ छै।
तेँ एतऽ चुप्पी कोना टूटौ
एतऽ मूड़िये ने हिलतै।
एत्तहु जरुरी छै
ओ सब हीलै
ओ सब खसै
जे हिलबाक चाही
जे खसबाक चाही
एत्तहु कयल जयबाक चाही
प्रयास
द्वन्द्वक बीज रोपबाक!
मुदा अखन
एतऽ तँ नाटके भऽ रहल अछि,
भाषणे भऽ रहल अछि
एतऽ तँ मूड़िये नहि हिलतै।
- पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 15)
- रचनाकार : रोशन जनकपुरी
- प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
- संस्करण : 2013
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.